Nidhi Saxena

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मेरी विपदा हर लो ना


विषय ; विनती
रूप ; कविता
शीर्षक ; सुनता है सबकी 


सुना है सबकी विपदा हरते हो 
मेरी भी विपदा हर लो ना 

मझधार में है नैय्या
 पार इसे लगा दो ना 
दुनिया बोलती है मुझसे 
तू कदम तो बढ़ा
 तेरे पीछे खड़े है हम
लेकिन फिर वही मेरे अपने 
मेरे पैर पीछे खींच लेते है 
अब तू ही आकर 
मेरा हाथ पकड़ 
आगे बढ़ा देना 
आजा ना एक बार 
मेरी विपदा हर ले ना ।

सुनता है सबकी 
एक बार मेरी भी सुन ले ना ।।

 जय श्री राधे कृष्णा 🙏🙏❣️❣️
 दासी 👉 नीर( निधि सक्सैना)

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3 Comments

Abhinav ji

16-Dec-2022 08:19 AM

Very nice👍

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Sachin dev

15-Dec-2022 06:06 PM

Well done

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VIJAY POKHARNA "यस"

15-Dec-2022 08:01 AM

बहुत सुंदर

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